सवेरे जल्दी उठने के फायदे

0


Image Here



तुमने अपनी पुस्तक में जरूर पढ़ा होगा— 'रोज सवेरे उठो ।' हम यहाँ इसी बात पर तुम्हें एक दोहा सुना रहे हैं-

आलस तज, उठिये सदा, खूब सवेरे रोज; बनी रहेगी ताजगी, भरा रहेगा ओज । जानते हो, इस दोहे का मतलब क्या है ? इस दोहे का मतलब यह है कि रोज सवेरे आलस छोड़

कर उठ जाना चाहिए । सवेरे उठने से शरीर में ताजगी रहती है, तेज, बल और फुरती भरी रहती है । कदाचित तुम्हें हमारी इस बात पर विश्वास न आए और तुम यह जानना चाहो कि आखिर कारण क्या है, जिससे तुम्हें रोज सवेरे उठना चाहिये । उस कारण को जानने के लिए हम यहाँ तुम्हें एक कहानी सुना रहे हैं-

एक नगर में एक लड़का रहता था । लड़के का नाम रमेश था। रमेश की उम्र सात-आठ वर्ष की थी । वह बड़ा दुबला-पतला था। वह रोगी था । उसे


अच्छी भूख नहीं लगती थी। वह सदा सुस्त रहता था।

रमेश देर तक सोता रहता था। सूर्य काफी ऊपर चढ़ जाता था, पर फिर भी सोता रहता था। उसके माता-पिता भी देर तक सोते थे। जब माता-पिता ही देर तक सोते थे, तब फिर रमेश सवेरे कैसे उठ सकता था?

रमेश अपने बुरे स्वास्थ्य को लेकर बहुत दुखी रहता था। वह जब दूसरे लड़कों को हँसता, लता और चहकता हुआ देखता, तो उसके मन में चाह पैदा होती, वह भी उन्हीं की तरह हुने, खेले और पहले पर वह उनकी तरह कैसे हँस-बेल सकता था, क्योंकि वह तो रोगी था।

रमेश रोज मन-ही-मन भगवान् से प्रार्थना किया करता था - "है भगवान्, तुम ऐसी दया करो, जिससे मैं दूसरे बालकों की तरह हंसा-बेला करूं।"

भगवान् ने रमेश की प्रार्थना सुन ली। उन्होंने एक दिन स्वप्न में रमेश को एक बड़ी अनोखी तस्वीर दिखाई। एक दिन सवेरे का समय था। सूर्य निकल जाया था, पर रमेश चारपाई पर पड़ा-पड़ा सो रहा था।

Image Here
रमेश एक स्वप्न देखने लगा। उसे ऐसा लगा, जैसे वह एक बहुत ही सुन्दर बगीचे घूम रहा हो । उस बगीचे में तरह-तरह के सुन्दर फूल खिले थे, तरह- तरह की चिड़ियाँ मीठे स्वरों में मीठे-मीठे गीत गा रही थीं।

उस बगीचे में एक ओर एक बड़ा सुन्दर भवन बना हुआ था। भवन के दरवाजे पर एक सुन्दर स्त्री खड़ी थी। उसके हाथ में एक कलश था। स्त्री के सामने कई छोटे-छोटे बालक खड़े थे । वह सभी बालकों को बारी-बारी से, अपने पास बुलाकर, उन्हें

अपने कलश का पानी पिला रही थी ।

रमेश ने उस स्त्री का देखकर बगीचे के माली से पूछा - "भाई, क्पा तुम जानते हो, यह कौन है, और उन छोटे-छोटे बालकों को क्या पिला रही है ?"

इनका रमेश की बात सुनकर माली हँस पड़ा। उसने हँसते हुए कहा- "क्या तुम इन्हें नहीं जानते ? नाम हवा परी है । यह इसी तरह प्रतिदिन लोगों को अमृत पिलाया करती हैं। जो इनके कलश का अमृत पीता है, उसके शरीर में कोई रोग नहीं रहता । उस का शरीर सदा बल, तेज और स्कूर्ति से भरा रहता है ।"

रमेश बड़ा प्रसन्न हुआ। उसने सोचा, 'क्यों न वह भी उस स्त्री के पास जाकर उसके कलश का अमृत पिये ! हो सकता है, उसके कलश का अमृत पीने से उसका रोग दूर हो जाए और वह भो दूसरे बालकों की तरह हँसने खेलने लगे ।

रमेश भवन के द्वार पर आकर, बालकों की कतार में खड़ा हो गया । जब रमेश की बारी आई, तो हवा परो ने उसे अपने पास बुलाया । रमेश हवा परी के सामने चुल्लू बनाकर खड़ा हो गया ।

परोने कहा - "रनेरा मुझे दुःख है कि मैं

अपने कलश का अमृत तुम्हें न पिला सकूंगी। मैं उन्हीं बालकों को अमृत पिलाती हूँ, जो रोज सवेरे उठते हैं। पहले तुम सवेरे उठने की आदत डालो, फिर मैं तुम्हें भी बड़े प्यार से अपने कलश का अमृत पिलाऊँगी।"

हवा परी की बात सुनते-सुनते रमेश की नींद टूट गई । उसका स्वप्न गायब हो गया। पर स्वप्न की एक-एक बात उसके मन पर लिखी हुई थी । वह एक- एक बात को याद करने लगा, एक-एक बात पर सोच- विचार करने लगा ।

रमेश हवा परी को स्वप्न में देख चुका था । उसके कलश के अमृत के गुणों को भी जान चुका था । इसलिए उसने मन-ही-मन सोच', 'वह भी हवा परी के कलश का अमृत पियेगा, अवश्य पियेगा । पर हवा परी के कलश का अमृत पोने के लिए तो रोज सवेरे उठना पड़ेगा। कोई बात नहीं। वह भी रोज सवेरे उठा करेगा, अवश्य सवेरे उठा करेगा ।'

रमेश दूसरे दिन से हो सवेरे उठने लगा। पहले उसे कुछ कठिनाई अवश्य हुई, पर वह कठिनाई से झुका नहीं। वह बराबर रोज सवेरे उठने लगा । आखिर उने हो सवेरे उठने की आदत पड़ गई । जहाँ सवेरे

के पाँच बजते, उसकी आदत माँ की तरह उसे खदेड़कर जगा दिया करती थी।

कुछ दिनों के बाद, एक दिन रात में रमेश ने फिर वही स्वप्न देखा । वही बगोचा, बगीचे का वही सुन्दर भवन, और भवन के दरवाजे पर वही हवा परो । रमेश हवा परी के सामने चुल्लू बनाकर खड़ा हो गया ।

हवा परी रमेश को देखकर हँस पड़ी । उसने हंसते हुए कहा - " रमेश, अब मैं तुम्हें अवश्य अपने कलश का अमृत पिलाऊँगी। क्योंकि अब तुम रोज सवेरे उठते हो ।"

हवा परी रमेश को अपने कलश का अमृत पिलाने लगी । रमेश की नींद अमृत पीते-पीते टूट गई ।

रमेश मन-हो-मन बड़ा प्रसन्न हुआ । उस दिन से उसका मन प्रसन्नता और ताजगी से भर गया। धीरे-धीरे उसके शरीर का रोग दूर हो गया । उसे अच्छी भूख लगने लगी । उसका खाना हजम होने लगा । उसके शरीर में स्फूर्ति, बल और तेज भर या । वह दूसरे बालकों के समान ही हँसने, खेलने

और चहकने लगा । हो सकता है, तुम्हारे

आश्चर्य पैदा हुआ हो, पर यह बात बिलकुल सच है कि जो लोग सवेरे उठते हैं, उन्हें हवा अमृत पिलाया करती है । सवेरे जो हवा चलती है, वह अमृत के समान ही शीतल और लाभ पहुँचाने वाली होती है । जो लोग सवेरे उठकर उस हवा में घूमते हैं, वे सदा स्वस्थ रहते हैं । उनके शरीर में बल, तेज और स्फूर्ति का सदा सागर-सा लहराया करता है ।

रोज सवेरे उठने से शरीर स्वस्थ तो रहता ही है, बुद्धि भी बढ़ती है। एक लड़का सदा अच्छे नम्बरों से पास हुआ करता था। एक दिन उसके एक साथी ने उससे पूछा, "भाई, तुम क्या करते हो कि सदा अच्छे नम्बर लाते हो। उस लड़के ने जवाब दिया- "मैं मेहनत से पढ़ता हूँ, और पढ़ने के लिए रोज सवेरे उठा करता हूँ ।" तुम्हें भी अच्छे नम्बर आने के लिए रोज सवेरे उठकर पढ़ना चाहिए। बोलो, क्या तुम रोज सवेरे उठा करोगे ? कहो, हाँ, हाँ, हाँ ।


image Here

Post a Comment

0Comments
Post a Comment (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !

Mahek Institute E-Learnning Education