वेलेंटाइन

0
Image here


मानव मात्र की यह फितरत है कि उसे हमेशा दूसरे की वस्तु बहुत अच्छी लगती है। यदि वह आयातित हो तो कहना ही क्या ? यह बात दीगर है कि आयातित वस्तु को गुणवत्ता अपनी तुलना में नगण्य ही क्यों ना हो।

सौन्दर्य प्रसाधन से लेकर परिधान, एलेक्ट्रॉनिक वस्तु, यहाँ तक कि कार भी लोग आयातित हो पसंद करते हैं। रोजमर्रा के उपयोग में आने वाली वस्तु यदि बाहर की है तो कुछ हद तक क्षम्य है क्योंकि स्वदेशी मानसिकता तो राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के साथ ही भारत वासियों के दिमाग से लुप्तप्राय ही हो गयी है।

इधर दस वर्षों से हमारे देश में प्यार करने का तरीका भी आयातित होने लगा है। यूँ तो यह सभी जानते हैं कि संचार माध्यम के विकास के कारण दुनिया सिमट कर छोटी हो गई है। सैकण्ड भी नहीं लगता है यह जानने में कि अभी इंग्लैण्ड, अमेरिका के घरों के किचन में बन रही सब्जी में किस चीज को छौंक लग रही है। फिर प्यार के तरीके की बात का कहना ही क्या। इसी पर तो जीवन को खुशियाँ टिकी हैं।

नवयुवकों को हिन्दुस्तानी शादी-विवाह, पति-पत्नी का जन्म जन्मान्तर तक साथ रहने का वादा, दोनों के बीच प्रेम का अटूट बंधन आउट डेटेड लग रहा है, उन्हें यह पता नहीं है कि विदेशों में तो लोग हर वक्त के भोजन की तरह अपनी प्रेयसी भी बदलते हैं। वे आज सगाई किसी के साथ करते है तो कल विवाह किसी दूसरे के साथ और परसों किसी तीसरे के साथ प्यार की पींगे बढ़ाते नज़र आते हैं।

अजी छोड़िये ! मैं भी क्या दकियानूसी विचार लेकर बैठ गई। चलिये अब में आपको एक चटपटा वाकया सुनाती हूँ। कमल मोनिका से बोला, 'मोनी! बताओ तो आज कौन सी तारीख है ?' मोनिका, 'बड़ी ही सहजता से जवाब देती है चौदह फरवरी और क्या ?


कमल, 'अरे बुद्ध यह तो सब जानते हैं कि आज चौदह फरवरी है, लेकिन इस तारीख को क्या विशेषता है?'

मोनिका, 'मैं नहीं जानती। मैं ठहरी गाँव की सीधी-सादी लड़की तुम्हारी तरह महानगर में रहकर थोड़े ही आई हूँ।'

कमल, 'नाराज क्यों होती हो अब मैं तुमसे एक महत्त्वपूर्ण प्रश्न पूछने जा रहा हूँ। ठीक-ठीक जवाब देना।'

मोनिका, 'तो पूछो न!'

कमल, 'क्या तुम मेरी वेलेन्टाइन बनोगी ?"

मोनिका, 'आश्चर्य से वेलेन्टाइन यह कौन सी बला है ?' कमल, आज के दिन कोई भी किसी से प्यार करने के लिए स्वतंत्र है।' यह कह कर उसने अपनी कमीज के अंदर छुपाया हुआ, पीला मोनिका की ओर बढ़ा दिया। गुलाब निकालकर

मोनिका भाँचकी हो कभी कमल को तो कभी गुलाब को देखने लगी।

कमल और मोनिका बचपन से साथ ही पढ़ते थे। मैट्रिक के बाद मोनिका

की पढ़ाई ठप्प हो गई और कमल आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली चला गया।

वहीं उसे आधुनिकता का चस्का लगा। जब दोनों साथ पढ़ते थे उस समय मन ही

मन दोनों एक दूसरे को पसंद करते थे।

पढ़ाई खत्म कर गाँव आने के बाद कमल ने सोचा क्यों न अपने पहले प्यार से आज के दिन प्यार का इजहार किया जाय। तीन वर्ष पहले मोनिका के पिता का देहान्त हो चुका है। घर में उसके अलावा माँ, एक भाई तथा एक नवेली भाभी हैं।


आज सुबह से ही कमल मोनिका को रिझाने की फिक्र में है। वह अवसर उसे मिल ही गया। मोनिका कमल की चिकनी-चुपड़ी बातों से प्रभावित हो यन्त्रवत् उसके पीछे-पीछे चलने लगी। दोपहर का समय बर्फीली हवा शरीर को छलनी कर रही थी। लिहाजा लोग अपने-अपने घरों में दुबके हुए आग का सेवन कर रहे हैं। इसी का फायदा उठाकर कमल मोनिका को लेकर अपने बासा पर आ गया। आज भी गाँव में घर से दूर एक ठिकाना होता है जहाँ अनाज का भंडार, गाय, भैंस ट्रैक्टर आदि की व्यवस्था रहती है। उसे बासा कहते है देख-रेख के लिए वहाँ नौकर-चाकर, बराहिल रहते हैं। संयोग से आज बासा पर कोई नहीं है। सब, लगता है ठंड से बचने के लिए घर चले गए है। कमल, मोनिका को एक कोठरी में ले आया। जहाँ एक ओर बड़ा सा पलंग था उस पर खूबसूरत गद्दे पर सफेद झकाझक

चादर बिछी थी। दूसरी ओर टेबुल पर जग में पानी, पैकेट में मिठाई, नमकीन तथा दो ग्लास और प्लेटें रखी थीं। लगता है कमल ने पहले से ही सारी तैयारी कर रखी थी। मोनिका कमल के साथ खिंची चली तो आई लेकिन उसे डर लग रहा था कि यदि कोई कमल के साथ उसे देख लेगा तो बेकार में बात का बतंगड़ बन जायेगा।

इन सारी बातों से बेखबर कमल मोनिका को दिल्ली की लड़कियों का बिन्दास रहन-सहन, लड़कों के साथ बेफिक्र होकर घूमना-फिरना, सिनेमा तथा डिस्को जाना, आदि के विषय में बता रहा था। थोड़ी देर के बाद कमल ने कहा, 'मोनिका बड़ी भूख लगी है क्यों न मिठाई और मिक्चर का आनंद उठाया जाय।'

मोनिका, 'हाँ मुझे भी भूख लगी है। खिलाओ न !' असल में कमल की बातों में मोनिका को मजा आ रहा था। नाश्ते का लुत्फ लेने के बाद कमल ने दराज से एक एलबम निकाला, उसमें लड़के-लड़कियों के अश्लील फोटो थे। मोनिका पहले से उसे देखकर थोड़ा शर्माथी, फिर कमल के लिए करने पर बड़े चाव से देखने लगी। फोटो देखते-देखते उस पर खुमारी छाने लगी और कब दोनों फोटो देखते- देखते एक हो गए, पता ही नहीं चला। शाम हो गई थी, हवा कम हो गई। दरवाजे पर चहल-पहल सी लगने लगी। पहले तो कमल थोड़ा घबराया फिर अंधेरे का फायदा उठाकर दोनों धीरे-धीरे कोठरी से बाहर आ गए और तेज-तेज कदम बढ़ाते हुए अपने-अपने घर आ गए।

जब तक कमल गाँव में रहा लुक-छिप कर मोनिका से मिलता रहा। नौकरी के लिए जगह-जगह इन्टव्यू देने उसे जाना पड़ा। वह मोनिका से मिलकर जल्दी आने का वादा कर चला गया। इधर मोनिका कमल के जाने के बाद सप्ताह में एक पत्र उसे भेजने लगी। लेकिन एक भी पत्र का जवाब कमल की तरफ से नहीं मिला। इस घटना को लगभग तीन महीने होने को आए। एक दिन मोनिका का जी मिचलाने लगा तथा ऑऑ करते हुए वह नल की ओर भागी भाभी ने दौड़कर उसे सम्भालते हुए पूछा, 'बबुनी क्या हुआ ?' एक ग्लास पानी लाकर कुल्ला करने के लिये दिया और खुद उसकी पीठ सहलाने लगी।

जब वोमिटिंग बन्द हुआ तो उसे सहारा देकर बिछावन पर लिटाकर सासू माँ को खबर करने चली गई। माँ घबराई हुई मोनिका के पास आई और तरह-तरह के प्रश्न करने लगी। लेकिन मोनिका को तो लगता था कि काठ मार गया था। वह कुछ बोल ही नहीं रही थी। उड़ते-उड़ते बात उसके भाई तक पहुँच गई। वह दौड़ते


हुए आया और मोनिका को लेकर लेडी डाक्टर के पास गया। चेकअप करने के बाद " एकान्त में डाक्टर ने जो बात उसे बतायी, सुनकर रमन के पाँव तले की जमीन खिसक गई। बहन को बाहर बिठाकर उसने डॉक्टर से मिन्नत की कि किसी मोनिका को इस अनचाहे गर्भ से छुटकारा दिला दीजिये। लेकिन वह राजी नहीं हुई हार कर वह उसे लेकर घर आ गया। उसे चिन्तित देखकर माँ को सच्चाई का आभास भी हो गया। सब लोग चिन्ता में पड़ गए।

मोनिका पाषाणवत् हो गई। उसकी हँसी न जाने कहाँ गुम हो गई। वह दिन भर अकेले अन्धेरे कमरे में पड़ी पड़ी कुछ न कुछ सोचती रहती है तथा अपने आप प्रश्न करती है कि क्या वेलेन्टाइन ऐसा होता है ?

Image here

Post a Comment

0Comments
Post a Comment (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !

Mahek Institute E-Learnning Education