यमुना नदी: जीवन की धारा
भारत की सबसे पवित्र नदियों में से एक, यमुना नदी का व्यापक अध्ययन
यमुना नदी का अवलोकन
यमुना नदी भारत की दूसरी सबसे बड़ी और सबसे पवित्र नदियों में से एक है। यह गंगा नदी की सबसे लंबी और सबसे बड़ी सहायक नदी है। यमुना उत्तर भारत में बहती है और कई राज्यों से होकर गुजरती है। यह नदी भारतीय संस्कृति, इतिहास और पौराणिक कथाओं में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है।
यमुना नदी का उद्गम स्थल उत्तराखंड राज्य में हिमालय पर्वत की यमुनोत्री हिमग्लेशियर में स्थित है, जो समुद्र तल से 3,293 मीटर की ऊंचाई पर है। यह नदी उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश राज्यों से होकर बहती है और इलाहाबाद (प्रयागराज) में गंगा नदी में मिल जाती है।
यमुना नदी भारत के कृषि, जल आपूर्ति और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह लाखों लोगों के लिए पेयजल, सिंचाई और अन्य आवश्यकताओं को पूरा करती है। हालांकि, वर्तमान में यमुना नदी गंभीर प्रदूषण की समस्या से जूझ रही है, जिससे इसकी जल गुणवत्ता और पारिस्थितिकी तंत्र पर गहरा प्रभाव पड़ा है।
यमुना नदी का मार्ग
उद्गम स्थल
यमुना नदी का उद्गम उत्तराखंड राज्य में हिमालय पर्वत की यमुनोत्री हिमग्लेशियर में स्थित है, जो समुद्र तल से 3,293 मीटर की ऊंचाई पर है। यह स्थान उत्तरकाशी जिले में स्थित है और हिंदू धर्म में एक पवित्र तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाता है।
मार्ग
यमुना नदी अपने उद्गम से निकलकर दक्षिण-पश्चिम दिशा में बहती है। यह उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश की सीमा से होकर गुजरती है, फिर हरियाणा और दिल्ली राज्यों से होकर बहती है, और अंत में उत्तर प्रदेश में प्रवेश करती है।
संगम
यमुना नदी उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (पूर्व में इलाहाबाद) में गंगा नदी में मिल जाती है। इस संगम को त्रिवेणी संगम के नाम से जाना जाता है, क्योंकि यहां एक अदृश्य नदी सरस्वती भी मिलने की मान्यता है। यह स्थान हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है।
यमुना नदी का मार्ग और प्रदूषण स्तर
उद्गम से दिल्ली तक
कम प्रदूषण
दिल्ली में
मध्यम प्रदूषण
दिल्ली से आगे
उच्च प्रदूषण
त्रिवेणी संगम तक
अत्यधिक प्रदूषण
यमुना नदी का प्रदूषण स्तर उसके मार्ग के साथ बदलता रहता है। उद्गम से लेकर दिल्ली तक नदी का जल अपेक्षाकृत साफ रहता है, लेकिन दिल्ली में प्रवेश करने के बाद यह गंभीर रूप से प्रदूषित हो जाती है। दिल्ली से आगे बढ़ने पर प्रदूषण का स्तर और बढ़ जाता है और त्रिवेणी संगम तक पहुंचते-पहुंचते यह अत्यधिक प्रदूषित हो जाती है।
यमुना नदी के किनारे बसे शहर
यमुना नदी के किनारे कई प्रमुख शहर बसे हुए हैं, जो इस नदी पर निर्भर करते हैं। ये शहर नदी से पेयजल, सिंचाई और अन्य आवश्यक सेवाएं प्राप्त करते हैं। इन शहरों की जनसंख्या और औद्योगिक गतिविधियों के कारण यमुना नदी पर भारी दबाव पड़ता है।
यमुनोत्री
उत्तराखंड
देहरादून
उत्तराखंड
पौड़ी
उत्तराखंड
यमुनानगर
हरियाणा
पानीपत
हरियाणा
सोनीपत
हरियाणा
दिल्ली
राष्ट्रीय राजधानी
नोएडा
उत्तर प्रदेश
गाजियाबाद
उत्तर प्रदेश
फरीदाबाद
हरियाणा
मथुरा
उत्तर प्रदेश
वृंदावन
उत्तर प्रदेश
आगरा
उत्तर प्रदेश
इटावा
उत्तर प्रदेश
कानपुर
उत्तर प्रदेश
प्रयागराज
उत्तर प्रदेश
यमुना नदी के किनारे बसे इन शहरों में से कुछ धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखते हैं, जबकि अन्य औद्योगिक और व्यावसायिक केंद्र हैं। ये शहर यमुना नदी से जुड़े हुए हैं और इस नदी के संरक्षण और संवर्द्धन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
यमुना नदी पर बने बांध
यमुना नदी और इसकी सहायक नदियों पर कई बांध बनाए गए हैं, जो जल विद्युत उत्पादन, सिंचाई और पेयजल आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन बांधों ने नदी के प्रवाह को नियंत्रित किया है और आसपास के क्षेत्रों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
टिहरी बांध
स्थान: उत्तराखंड
नदी: भागीरथी (गंगा की सहायक)
ऊंचाई: 260.5 मीटर
क्षमता: 2,400 मेगावाट
यह भारत का सबसे ऊंचा बांध है और इसका निर्माण जल विद्युत उत्पादन, सिंचाई और पेयजल आपूर्ति के लिए किया गया है।
लखवर-व्यासी बांध
स्थान: उत्तराखंड
नदी: यमुना
ऊंचाई: 97.5 मीटर
क्षमता: 300 मेगावाट
यह बांध यमुना नदी पर बना है और इसका मुख्य उद्देश्य जल विद्युत उत्पादन और दिल्ली को पेयजल आपूर्ति करना है।
हथनीकुंड बैराज
स्थान: हरियाणा
नदी: यमुना
ऊंचाई: 18 मीटर
क्षमता: जल वितरण
यह बैराज यमुना नदी के पानी को पश्चिमी यमुना नहर और पूर्वी यमुना नहर में वितरित करता है, जो हरियाणा और उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों में सिंचाई के लिए उपयोग होता है।
ओखला बैराज
स्थान: दिल्ली
नदी: यमुना
ऊंचाई: 10 मीटर
क्षमता: जल वितरण
यह बैराज दिल्ली में यमुना नदी पर बना है और इसका उपयोग दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों को पेयजल आपूर्ति के लिए किया जाता है।
गुमटिया बैराज
स्थान: उत्तर प्रदेश
नदी: यमुना
ऊंचाई: 8 मीटर
क्षमता: जल वितरण
यह बैराज आगरा के पास यमुना नदी पर बना है और इसका उपयोग सिंचाई और पेयजल आपूर्ति के लिए किया जाता है।
न्यू यमुना ब्रिज बैराज
स्थान: दिल्ली
नदी: यमुना
ऊंचाई: 7 मीटर
क्षमता: जल वितरण
यह बैराज दिल्ली में यमुना नदी पर बना है और इसका उपयोग दिल्ली को पेयजल आपूर्ति के लिए किया जाता है।
यमुना नदी का प्रदूषण
यमुना नदी भारत की सबसे प्रदूषित नदियों में से एक है। इसका प्रदूषण स्तर विशेष रूप से दिल्ली के बाद बढ़ जाता है और त्रिवेणी संगम तक पहुंचते-पहुंचते यह अत्यधिक प्रदूषित हो जाती है। नदी का प्रदूषण मुख्य रूप से औद्योगिक अपशिष्ट, घरेलू कचरा, कृषि रसायन और धार्मिक अनुष्ठानों के कारण होता है।
यमुना नदी में प्रदूषण का स्तर
यमुनोत्री से दिल्ली तक
कम प्रदूषण
दिल्ली में
मध्यम प्रदूषण
दिल्ली से मथुरा तक
उच्च प्रदूषण
मथुरा से प्रयागराज तक
अत्यधिक प्रदूषण
यमुना नदी का प्रदूषण स्तर उसके मार्ग के साथ बदलता रहता है। यमुनोत्री से लेकर दिल्ली तक नदी का जल अपेक्षाकृत साफ रहता है, लेकिन दिल्ली में प्रवेश करने के बाद यह गंभीर रूप से प्रदूषित हो जाती है। दिल्ली से आगे बढ़ने पर प्रदूषण का स्तर और बढ़ जाता है और त्रिवेणी संगम तक पहुंचते-पहुंचते यह अत्यधिक प्रदूषित हो जाती है।
औद्योगिक प्रदूषण
यमुना नदी के किनारे बसे कई औद्योगिक क्षेत्रों से निकलने वाला अपशिष्ट पानी सीधे नदी में डाला जाता है, जिससे नदी का जल गंभीर रूप से प्रदूषित होता है। इसमें भारी धातुओं, रसायनों और विषाक्त पदार्थों की मात्रा अधिक होती है।
घरेलू कचरा
यमुना नदी के किनारे बसे शहरों से निकलने वाला घरेलू कचरा और सीवेज सीधे नदी में डाला जाता है। दिल्ली जैसे बड़े शहरों में कई जगहों पर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की कमी है, जिससे अनुपचारित सीवेज नदी में मिलता है।
कृषि रसायन
यमुना नदी के जलग्रहण क्षेत्र में होने वाली खेती में उपयोग होने वाले उर्वरक और कीटनाशक नदी में मिलकर इसे प्रदूषित करते हैं। इन रसायनों के कारण नदी के जल में नाइट्रेट और फॉस्फेट की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे जलीय जीवन प्रभावित होता है।
धार्मिक अनुष्ठान
यमुना नदी के किनारे स्थित कई धार्मिक स्थलों पर लोग पूजा-अर्चना के बाद फूल, प्रसाद, पॉलिथीन और अन्य सामग्री नदी में प्रवाहित करते हैं। इसके अलावा, अस्थि कलश भी नदी में विसर्जित किए जाते हैं, जिससे नदी प्रदूषित होती है।
यमुना नदी सफाई अभियान
यमुना नदी की सफाई के लिए सरकार और विभिन्न संगठनों द्वारा कई अभियान चलाए गए हैं। इन अभियानों का उद्देश्य नदी की जल गुणवत्ता में सुधार करना और इसे प्रदूषण से मुक्त करना है। इन अभियानों में हजारों करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं, लेकिन अभी तक सफलता सीमित रही है।
यमुना एक्शन प्लान-I (YAP-I)
यह यमुना नदी सफाई का पहला बड़ा अभियान था, जिसे राष्ट्रीय नदी संरक्षण निदेशालय (NRCD) द्वारा शुरू किया गया था। इस योजना के तहत दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) स्थापित किए गए।
खर्च: 342 करोड़ रुपये
यमुना एक्शन प्लान-II (YAP-II)
यह योजना YAP-I के बाद शुरू की गई थी, जिसमें अधिक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए गए और मौजूदा प्लांट्स की क्षमता बढ़ाई गई। इसके अलावा, इस योजना के तहत नदी के किनारे बसे झुग्गियों में सैनिटेशन सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं।
खर्च: 547 करोड़ रुपये
यमुना एक्शन प्लान-III (YAP-III)
इस योजना के तहत दिल्ली में अतिरिक्त सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए गए और इंटरसेप्टर सीवर सिस्टम का विस्तार किया गया। इसके अलावा, इस योजना में नदी के तटीय क्षेत्रों के विकास पर भी ध्यान दिया गया।
खर्च: 1,656 करोड़ रुपये
नमामि गंगे अभियान
यह अभियान मुख्य रूप से गंगा नदी की सफाई के लिए शुरू किया गया था, लेकिन इसके तहत यमुना नदी की सफाई पर भी ध्यान दिया गया। इस अभियान के तहत यमुना नदी के जलग्रहण क्षेत्र में कई परियोजनाएं चलाई गईं।
खर्च: 20,000 करोड़ रुपये (कुल बजट का एक हिस्सा)
यमुना फ्रेश अभियान
दिल्ली सरकार द्वारा शुरू किया गया यह अभियान यमुना नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए था। इस अभियान के तहत नदी में गिरने वाले 22 बड़े नालों को टैप किया गया और उनका उपचार किया गया। इसके अलावा, नदी के किनारे बसे झुग्गियों में सैनिटेशन सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं।
खर्च: 3,500 करोड़ रुपये
यमुना नदी सफाई परियोजना
दिल्ली सरकार ने यमुना नदी को 2025 तक स्नान योग्य बनाने का लक्ष्य रखा है। इस परियोजना के तहत नदी में गिरने वाले सभी नालों को टैप किया जाएगा और उनका उपचार किया जाएगा। इसके अलावा, नदी के तटीय क्षेत्रों के विकास और जलीय जीवन को बढ़ावा देने पर भी ध्यान दिया जाएगा।
खर्च: 8,500 करोड़ रुपये (अनुमानित)
यमुना नदी सफाई अभियानों पर खर्च
यमुना नदी की सफाई के लिए अब तक कई अभियान चलाए जा चुके हैं, जिनमें हजारों करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। इन अभियानों में सबसे अधिक खर्च सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने और इंटरसेप्टर सीवर सिस्टम के विस्तार पर किया गया है।
- यमुना एक्शन प्लान-I (1993-1994): 342 करोड़ रुपये
- यमुना एक्शन प्लान-II (2003-2004): 547 करोड़ रुपये
- यमुना एक्शन प्लान-III (2009): 1,656 करोड़ रुपये
- नमामि गंगे अभियान (2015): 20,000 करोड़ रुपये (कुल बजट का एक हिस्सा)
- यमुना फ्रेश अभियान (2018): 3,500 करोड़ रुपये
- यमुना नदी सफाई परियोजना (2021): 8,500 करोड़ रुपये (अनुमानित)
इन अभियानों पर कुल मिलाकर लगभग 34,545 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं, लेकिन अभी तक नदी की स्थिति में सुधार की दिशा में सीमित सफलता मिली है।
यमुना नदी सफाई की चुनौतियां
यमुना नदी की सफाई के लिए चलाए गए अभियानों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, जिनके कारण इन अभियानों की सफलता सीमित रही है।
- तेजी से बढ़ती जनसंख्या: यमुना नदी के किनारे बसे शहरों की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है, जिससे नदी पर दबाव बढ़ रहा है।
- अपर्याप्त बुनियादी ढांचा: कई शहरों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की कमी है या मौजूदा प्लांट्स की क्षमता अपर्याप्त है।
- औद्योगिक अपशिष्ट: कई उद्योग अपना अपशिष्ट पानी बिना उपचार के नदी में डाल रहे हैं।
- अवैध कब्जे: नदी के तटीय क्षेत्रों पर अवैध कब्जे और निर्माण गतिविधियां नदी के प्राकृतिक प्रवाह को बाधित कर रही हैं।
- धार्मिक अनुष्ठान: नदी में धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान फूल, प्रसाद और अन्य सामग्री डाली जाती है, जिससे नदी प्रदूषित होती है।
- कृषि रसायन: नदी के जलग्रहण क्षेत्र में होने वाली खेती में उपयोग होने वाले उर्वरक और कीटनाशक नदी में मिलकर इसे प्रदूषित करते हैं।
भविष्य की योजनाएं
यमुना नदी की सफाई के लिए सरकार और विभिन्न संगठन भविष्य में कई योजनाएं बना रहे हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य नदी की जल गुणवत्ता में सुधार करना और इसे प्रदूषण से मुक्त करना है।
- यमुना नदी सफाई परियोजना (2021-2025): दिल्ली सरकार ने यमुना नदी को 2025 तक स्नान योग्य बनाने का लक्ष्य रखा है। इस परियोजना के तहत नदी में गिरने वाले सभी नालों को टैप किया जाएगा और उनका उपचार किया जाएगा।
- जल शक्ति अभियान: यह अभियान जल संरक्षण और जल गुणवत्ता में सुधार पर केंद्रित है, जिसके तहत यमुना नदी के जलग्रहण क्षेत्र में जल संरक्षण उपायों को बढ़ावा दिया जाएगा।
- नदी तट विकास: यमुना नदी के तटीय क्षेत्रों के विकास पर ध्यान दिया जाएगा, जिससे नदी का प्राकृतिक प्रवाह बहाल हो सके।
- जलीय जीवन को बढ़ावा: यमुना नदी में जलीय जीवन को बढ़ावा देने के लिए विशेष उपाय किए जाएंगे, जिससे नदी की पारिस्थितिकी प्रणाली मजबूत हो सके।
- जन जागरूकता अभियान: लोगों को यमुना नदी के महत्व और इसे साफ रखने की आवश्यकता के बारे में जागरूक करने के लिए जन जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे।
यमुना नदी गंदी क्यों है?
यमुना नदी भारत की सबसे प्रदूषित नदियों में से एक है। इसका प्रदूषण स्तर विशेष रूप से दिल्ली के बाद बढ़ जाता है और त्रिवेणी संगम तक पहुंचते-पहुंचते यह अत्यधिक प्रदूषित हो जाती है। यमुना नदी के प्रदूषित होने के कई कारण हैं, जिनमें से कुछ मुख्य कारण नीचे दिए गए हैं।
घरेलू सीवेज
यमुना नदी के किनारे बसे शहरों से निकलने वाला घरेलू कचरा और सीवेज सीधे नदी में डाला जाता है। दिल्ली जैसे बड़े शहरों में कई जगहों पर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की कमी है, जिससे अनुपचारित सीवेज नदी में मिलता है। दिल्ली से निकलने वाला लगभग 3,684 मिलियन लीटर प्रतिदिन (MLD) सीवेज में से केवल 1,276 MLD का ही उपचार किया जाता है, बाकी सीधे यमुना में डाल दिया जाता है।
औद्योगिक अपशिष्ट
यमुना नदी के किनारे बसे कई औद्योगिक क्षेत्रों से निकलने वाला अपशिष्ट पानी सीधे नदी में डाला जाता है, जिससे नदी का जल गंभीर रूप से प्रदूषित होता है। इसमें भारी धातुओं, रसायनों और विषाक्त पदार्थों की मात्रा अधिक होती है। दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में स्थित कई उद्योग अपना अपशिष्ट पानी बिना उपचार के नदी में डाल रहे हैं, जिससे नदी का जल गंभीर रूप से प्रदूषित हो रहा है।
कृषि रसायन
यमुना नदी के जलग्रहण क्षेत्र में होने वाली खेती में उपयोग होने वाले उर्वरक और कीटनाशक नदी में मिलकर इसे प्रदूषित करते हैं। इन रसायनों के कारण नदी के जल में नाइट्रेट और फॉस्फेट की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे जलीय जीवन प्रभावित होता है। इसके अलावा, कृषि गतिविधियों के कारण मिट्टी का कटाव भी बढ़ता है, जिससे नदी में गाद की मात्रा बढ़ जाती है और नदी की गहराई कम हो जाती है।
धार्मिक अनुष्ठान
यमुना नदी के किनारे स्थित कई धार्मिक स्थलों पर लोग पूजा-अर्चना के बाद फूल, प्रसाद, पॉलिथीन और अन्य सामग्री नदी में प्रवाहित करते हैं। इसके अलावा, अस्थि कलश भी नदी में विसर्जित किए जाते हैं, जिससे नदी प्रदूषित होती है। विशेष रूप से मथुरा और वृंदावन में यमुना नदी के किनारे होने वाले धार्मिक अनुष्ठानों के कारण नदी में प्रदूषण बढ़ता है।
अवैध कब्जे और निर्माण
यमुना नदी के तटीय क्षेत्रों पर अवैध कब्जे और निर्माण गतिविधियां नदी के प्राकृतिक प्रवाह को बाधित कर रही हैं। दिल्ली में यमुना नदी के तटीय क्षेत्रों पर अवैध कॉलोनियां और निर्माण गतिविधियां हो रही हैं, जिससे नदी की चौड़ाई कम हो रही है और इसका प्राकृतिक प्रवाह बाधित हो रहा है। इसके अलावा, नदी के तटीय क्षेत्रों पर होने वाले निर्माण कार्यों से नदी में मिट्टी और कंक्रीट का मलबा गिरता है, जिससे नदी की गहराई कम हो जाती है।
अपर्याप्त पानी का प्रवाह
यमुना नदी में अपर्याप्त पानी का प्रवाह भी इसके प्रदूषण का एक मुख्य कारण है। नदी पर बने बांधों और बैराजों के कारण नदी का प्राकृतिक प्रवाह बाधित हो रहा है, जिससे नदी में पानी की मात्रा कम हो रही है। विशेष रूप से गर्मियों के महीनों में नदी में पानी की मात्रा बहुत कम हो जाती है, जिससे प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। इसके अलावा, नदी से पानी की अत्यधिक निकासी सिंचाई और अन्य उद्देश्यों के लिए की जा रही है, जिससे नदी में पानी की मात्रा कम हो रही है।
यमुना नदी के प्रदूषित होने के ये कुछ मुख्य कारण हैं। इन कारणों के कारण नदी का जल गंभीर रूप से प्रदूषित हो गया है और इसका उपयोग सीमित हो गया है। यमुना नदी की सफाई के लिए इन कारणों पर ध्यान देना आवश्यक है और इन्हें दूर करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।
