अनमोल भेंट - रवींद्रनाथ टैगोर की भावनात्मक हिंदी कहानी | हिंदी साहित्

अनमोल भेंट - रवींद्रनाथ टैगोर की भावनात्मक हिंदी कहानी | हिंदी साहित्य

अनमोल भेंट - रवींद्रनाथ टैगोर की भावनात्मक कहानी

रायचरण और उसके मालिक के बच्चे के बीच प्रेम, बलिदान और विश्वास की मार्मिक कहानी। पढ़ें पूरी कहानी हिंदी में।

अनमोल रतन कहानी का चित्रण - रायचरण और बच्चे का प्रेम माहेक इंस्टीट्यूट रीव

कहानी की शुरुआत: रायचरण का परिचय

रायचरण बारह वर्ष की आयु से अपने मालिक के बच्चे को पालने का कार्य करता था। समय बीतने के साथ, वह बच्चा, जिसे वह अपनी गोद में खिलाता था, स्कूल गया, फिर कॉलेज, और अंततः सरकारी नौकरी में नियुक्त हुआ। लेकिन रायचरण का काम वही रहा—बच्चों की देखभाल। अब वह अनुकूल बाबू के पुत्र, एक नन्हे बच्चे की देखभाल करता था, जिसे वह प्यार से "चन्ना" कहकर पुकारता था।

यह बच्चा घुटनों के बल चलकर बाहर निकल जाता था। जब रायचरण उसे पकड़ने दौड़ता, तो बच्चा रोता और अपने नन्हे हाथों से उसे मारता। रायचरण हंसकर कहता, "हमारा भैया भी बड़ा होकर जज साहब बनेगा।" जब बच्चा उसे "चन्ना" कहकर पुकारता, तो रायचरण का हृदय आनंद से भर जाता। वह घोड़ा बनकर बच्चे को अपनी पीठ पर सवार कराता।

नया स्थान और त्रासदी

इन्हीं दिनों अनुकूल बाबू की बदली परयां नदी के किनारे एक जिले में हो गई। नए स्थान पर जाते समय, उन्होंने अपने बच्चे के लिए मूल्यवान आभूषण, कपड़े और एक सुंदर छोटी गाड़ी खरीदी। वर्षा ऋतु थी, और कई दिनों से मूसलाधार बारिश हो रही थी। एक संध्या को बच्चे ने बाहर जाने की जिद की। रायचरण उसे गाड़ी में बिठाकर बाहर ले गया। खेतों में पानी भरा था। बच्चे ने फूलों का गुच्छा देखकर जिद की। रायचरण ने उसे बहलाने की कोशिश की, पर वह नहीं माना। विवश होकर रायचरण घुटनों तक पानी में फूल तोड़ने लगा।

बच्चा गाड़ी में बैठा रहा, लेकिन उसका ध्यान नदी की लहरों की ओर गया। वह चुपके से गाड़ी से उतरकर नदी के तट पर पहुंच गया और एक लकड़ी उठाकर लहरों से खेलने लगा। नदी की चंचल जल-परियां उसे बुला रही थीं। जब रायचरण फूल लेकर लौटा, तो गाड़ी खाली थी। उसने इधर-उधर देखा, पर बच्चा कहीं नहीं था। वह पागलों की तरह बच्चे का नाम पुकारने लगा, लेकिन जवाब में केवल नदी का शोर था।

अंधेरा छा गया। बच्चे की माता चिंतित हो उठी और लोगों को खोजने भेजा। रायचरण बार-बार यही कहता रहा, "मुझे कुछ मालूम नहीं।" लोगों का मानना था कि बच्चे को परयां नदी ने ले लिया, लेकिन माता को शक था कि रायचरण ने बच्चे को निर्वासितों के हाथ बेच दिया। उसने रायचरण से विनती की, लेकिन रायचरण चुप रहा। क्रोध में आकर माता ने उसे घर से निकाल दिया।

रायचरण का नया जीवन और विश्वास

रायचरण अपने गांव लौट आया। उसकी कोई संतान नहीं थी, लेकिन साल के अंत में उसकी पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया, जो जन्म के बाद मर गई। उसकी विधवा बहन ने बच्चे की देखभाल का जिम्मा लिया। जब यह बच्चा, जिसका नाम फलन था, घुटनों के बल चलने लगा, तो रायचरण को अपने नन्हे मालिक की याद आती। फलन की आवाज और हरकतें उस बच्चे से मिलती-जुलती थीं।

रायचरण को विश्वास हो गया कि उसका नन्हा मालिक उसके घर पुनर्जन्म ले चुका है। इसके लिए उसके पास तीन प्रमाण थे: बच्चे का जन्म नन्हे मालिक की मृत्यु के तुरंत बाद हुआ, उसकी पत्नी की उम्र के कारण संतान की कोई आशा नहीं थी, और फलन की हरकतें नन्हे मालिक से मिलती थीं। रायचरण ने फलन को उसी तरह पाला जैसे वह अपने मालिक का बच्चा था। उसने उसके लिए गाड़ी और आभूषण बनवाए।

फलन का विकास और रायचरण का बलिदान

फलन बड़ा होने लगा, लेकिन लाड़-प्यार में वह बिगड़ गया। वह अपव्ययी था और रायचरण की आय उसके खर्चों के लिए कम पड़ने लगी। रायचरण ने अपनी जमीन बेचकर फलन को कलकत्ता में स्कूल में दाखिल करवाया, यह विश्वास रखते हुए कि वह बड़ा होकर जज बनेगा। लेकिन फलन उसे पिता नहीं मानता था, और रायचरण भी उसे अपना पुत्र नहीं बताता था।

जब रायचरण की आर्थिक स्थिति खराब हो गई, उसने एक योजना बनाई। वह फलन को अनुकूल बाबू के पास ले गया और कहा कि यह उनका खोया हुआ बच्चा है। अनुकूल बाबू और उनकी पत्नी खुशी से फलन को गले लगा लिया, लेकिन अनुकूल बाबू ने रायचरण से प्रमाण मांगा। रायचरण ने कहा कि केवल परमात्मा जानता है कि उसने बच्चा चुराया था।

अनुकूल बाबू ने रायचरण को क्षमा करने से इनकार कर दिया और उसे घर से निकाल दिया। रायचरण ने अंत में कहा कि यह उसका भाग्य था। फलन को भी रायचरण पर क्रोध आया, लेकिन उसने पेंशन की सलाह दी। रायचरण चुपचाप चला गया, और बाद में अनुकूल बाबू द्वारा भेजा गया मनीऑर्डर वापस आ गया, क्योंकि रायचरण का कहीं पता नहीं था।

कहानी का सार: प्रेम और बलिदान की गाथा

रवींद्रनाथ टैगोर की "अनमोल रतन" एक ऐसी कहानी है जो प्रेम, बलिदान और सामाजिक विश्वास की जटिलताओं को दर्शाती है। रायचरण का अपने मालिक के बच्चे के प्रति प्रेम और अपने पुत्र को उनके पास छोड़ने का बलिदान इस कहानी को मार्मिक बनाता है। यदि आप हिंदी साहित्य के प्रेमी हैं, तो टैगोर की अन्य कहानियाँ जैसे "काबुलीवाला" और "महामाया" भी अवश्य पढ़ें।

Post a Comment

0Comments
Post a Comment (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !

Mahek Institute E-Learnning Education