कम्प्यूटर हाॅर्डवेयर (COMPUTER HARDWARE)

कम्प्यूटर का घटक जिसे हम छू सकते हैं कम्प्यूटर हाॅर्डवेयर कहलाता हैं। कम्प्यूटर के मुख्य घटक हैं


  1. सिस्टम यूनिट
  2. माॅनीटर या वीडीयू
  3. की- बोर्ड
  4. माउस
  5. हार्डडिस्क

मल्टीमीडिया में प्रयोग आने वाले कुछ घटक हैं

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  1. सीडी राॅम ड्राइव
  2. स्पीकर
  3. माइक
  4. मोडेम

कम्प्यूटर में कुछ ऐच्छिक घटक हैं


  1. प्रिंटर
  2. फ्लॉपी ड्राइव
  3. स्कैनर
  4. ज्वाॅस्टिक

कम्प्यूटर को बिजली आपूर्ति के लिए


  1. यूपीएस
  2. सीवीटी


सिस्टम यूनिट के अन्य घटक

मदरबोर्ड (Mother-Board) : यह प्लास्टिक का बना पीसीबी होता है। धातु की पतली रेखाओं द्वारा यह दो उपकरणों के बीच संबंध स्थापित करता है। यह कम्प्यूटर का मुख्य पटल होता है। इस पर बनी धातु की पतली रेखाएं, जिनके माध्यम से मदरबोर्ड पर बने विभिन्न उपकरणों के बीच संकेतों का आदान-प्रदान होता है, बस (Bus) कहलाते हैं।

मदरबोर्ड को मेनबोर्ड या सिस्टम बोर्ड कहा जाता है। यह मुख्य बोर्ड होता है जिसमें साॅकेट लगे होते हैं और इससे अन्य बोर्ड भी जुड़ सकते हैं। मदरबोर्ड में कई तरह की चिप्स लगी होती हैं जिसमें से प्रोसेसर या सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट मुख्य हैं।

पाॅवर सप्लाई यूनिट (Power Supply Unit): इसे घरेलू बिजली से 220V AC सप्लाई दी जाती है जिसे यह कम्प्यूटर में प्रयोग के लिए 5 वोल्ट और 12 वोल्ट DC में बदल देता है। कम्प्यूटर के इलेक्ट्राॅनिक घटकों को 5 वोल्ट सप्लाई दी जाती है जबकि इसके मोटर, पंखे आदि का इसमें 12 वोल्ट की सप्लाई दी जाती है। यह कम्प्यूटर को उच्च व निम्न वोल्टेज की गड़बड़ियों से बचाता है। इसे वायु के सहारे ठंडा (Air Cooled) करने के लिए बिजली का एक पंखा (Fan) लगा रहता है। इसमें एसएमपीएस (SMPS- Switch Mode Power Supply) का प्रयोग किया जाता है।


सीपीयू (CPU-Central Processing Unit) : इसे माइक्रो प्रोसेसर (Micro Processor) भी कहा जाता है। यह एक चिप होता है जो कम्प्यूटर के विभिन्न उपकरणों का नियंत्रण तथा समन्वय करता है। कार्यों को नियंत्रित करने के लिए इसमें कंट्रोल यूनिट (Control Unit) तथा अंकगणितीय गणनाओं और कुछ लाॅजिकल कार्यों के लिए अरिथमैटिक लाॅजिक यूनिट (Arithmetic Logic Unit ALU) रहता है। कम्प्यूटर की मुख्य मेमोरी भी सीपीयू में ही रहती है।


मैथ कोप्रोसेसर (Math Coprocessor): गणित के कार्यों को करने तथा सीपीयू की सहायता के लिए मैथ को प्रोसेसर का उपयोग किया जाता है। नये माइक्रो प्रोसेसर में इसे अलग से लगाने की जरूरत नहीं होती।


रैम चिप (RAM Chip): सिस्टम यूनिट के मदरबोर्ड पर रैम चिप लगाने के खाके बने रहते हैं, जिनमें आवश्यकतानुसार रैम चिप लगाये जा सकते हैं। यहां कार्य के दौरान डाटा व प्रोग्राम को अस्थाई तौर पर रखा जाता है।


राॅम चिप (ROM Chip): निर्माण के समय ही इसमें डाटा डालकर मदरबोर्ड पर स्थायी तौर पर लगा दिया जाता है। इस चिप में ऐसे डाटा और प्रोग्राम रखे जाते है जिनकी आवश्यकता पीसी को चालू करते ही पड़ती है।


स्पीकर (Speaker): सिस्टम यूनिट के अंदर कुछ ध्वनि संकेत उत्पन्न करने के लिए स्पीकर लगा रहता है।


टाइमर (Timer): यह मदरबोर्ड पर लगा रहता है तथा घड़ी की तरह कार्य करता है। इसे एक बटन बैटरी से सप्लाई दी जाती है ताकि कम्प्यूटर बंद हो जाने पर भी घड़ी कार्य करती रहे।


एक्सपैंशन स्लाट (Expansion Slot): मदरबोर्ड पर किसी अन्य उपकरण को जोड़ने या भविष्य में प्रयोग के लिए खाने बने रहते हैं जिन्हें एक्सपेंशन स्लाट कहते हैं।


हार्ड डिस्क (Hard Disk): यह बड़ी क्षमता का स्टोरेज डिवाइस है जो डाटा और प्रोग्राम को संग्रहित रखता है। सप्लाई बंद कर देने पर भी इसमें संग्रहित डाटा समाप्त नहीं होता। सभी सॉफ्टवेयर प्रोग्राम यहीं रखे जाते हैं। आजकल हार्ड डिस्क की क्षमता जीबी में आंकी जाती है।


फ्लॉपी डिस्क ड्राइव (Floppy Disk Drive): यह फ्लॉपी डिस्क को पढ़ने और उसमें परिवर्तन करने के लिए प्रयोग किया जाता है। नये मेमोरी डिवाइस के आविष्कार से इसका प्रयोग घटता जा रहा है।


सीडी राॅम ड्राइव (CD-ROM Drive): इसका प्रयोग सीडी पर बनी सूचनाओं को पढ़ने के लिए किया जाता है। इसकी गति को एक नम्बर और उसके बाद अक्षर X से दर्शाया जाता है। जैसे 8X, 56X आदि। आजकल पढ़ने के अलावा सीडी पर लिखने योग्य ड्राइव भी उपलब्ध है। जिसे ‘सीडी-आर/डब्लू’ (CD- R/W-Computer Disk-Read/write) कहा जाता है।


प्रिंटर (Printer): यह हार्ड कापी प्रदान करने वाला आउटपुट डिवाइस है। इसे सिस्टम यूनिट से जोड़ा जाता है।


स्कैनर (Scanner): यह ऐच्छिक इनपुट डिवाइस है जिसका उपयोग ग्राफ या चित्र को बाइनरी डाटा में बदलकर कम्प्यूटर में डालने के लिए किया जाता है।


माॅडेम (Modem): यह (Modulator Demodulator) का संक्षिप्त रूप है। पीसी को नेट (इन्टरनेट) के साथ जोड़ने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। यह टेलीफोन लाइन पर आने वाली एनालाॅग संकेतों को डिजिटल संकेतों में बदलकर कम्प्यूटर को देता है तथा कम्प्यूटर द्वारा उत्पन्न डिजिटल संकेतों को एनालाॅग संकेत में बदलकर लाइन पर भेजता है।


माॅनीटर (Monitor): यह पीसी का मुख्य आउटपुट डिवाइस है जिससे प्रयोग कर्ता और कम्प्यूटर के बीच संबंध स्थापित होता है। यह कम्प्यूटर में चल रहे कार्यों को दर्शाता है। मल्टीमीडिया में एनीमेशन, चलचित्र (Movie), छायाचित्र (Image) और रेखाचित्र (Graphics) के चलते इसका महत्व बढ़ गया है। जीयूआई (GUI–Graphical User Interface) में भी इसका बड़ा महत्व है। माॅनीटर के गुणवत्ता की पहचान पिक्सेल या डाॅट पिच (Pixel or dot pitch) तथा रिजोल्यूशन (Resolution) तथा रिफ्रेश रेट (Refresh Rate) द्वारा की जाती है।


माउस (Mouse): यह एक इनपुट डिवाइस है। इसे प्वाइंटिंग डिवाइस भी कहते हैं। इसमें दो या तीन बटन होते हैं। यह सीपीयू से जुड़ा रहता है। जीयूआई के कारण इसका महत्व बढ़ा है।


की-बोर्ड (Key Board): यह एक महत्वपूर्ण इनपुट डिवाइस और पीसी का आवश्यक अंग है। इसकी सहायता से डाटा को कम्प्यूटर में डाला जाता है। कम्प्यूटर को दिए जाने वाले निर्देशों को भी की-बोर्ड की सहायता से दिया जाता है। माउस के खराब हो जाने पर की-बोर्ड को माउस की जगह थोड़ी मुश्किल से प्रयोग किया जा सकता है।


यूपीएस (UPS–Uniterruptible Power Supply): बिजली की सप्लाई बंद हो जाने पर कम्प्यूटर को अचानक रूक जाने से रोकने के लिए यूपीएस का प्रयोग किया जाता है। इसमें एक रीचार्जेबल बैटरी होती है जो कम्प्यूटर को लगातार सप्लाई देती रहती है। कम्प्यूटर के अचानक बंद हो जाने पर किए जा रहे कार्यों के समाप्त होने और डिस्क के खराब होने का खतरा बना रहता है। इसे रोकने के लिए यूपीएस का प्रयोग किया जाता है । जब बैटरी की क्षमता कम होने लगती है तो यूपीएस ध्वनि संकेत देकर उपयोगकर्ता को कम्प्यूटर बंद करने के लिए चेतावनी देता है।


सीवीटी (CVT- Constant Voltage Transformer): इसका प्रयोग घरेलू सप्लाई में होने वाले वोल्टेज के उत्तार चढ़ाव को रोकने के लिए किया जाता है ताकि कम्प्यूटर को एक समान बिजली मिलती रहे।

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