आधारभूत संरचना (FUNDAMENTAL UNITS)


कम्प्यूटर छोटा हो या बड़ा, चाहे वह नया हो या पुराना, इसके पांच मुख्य भाग होते हैं:


1. इनपुट यूनिट (Input Unit)

डाटा, प्रोग्राम, अनुदेश (Instruction) और निर्देशों (Commands) को कम्प्यूटर में डालने के लिए प्रयोग की जाने वाली विद्युत यांत्रिक (Electromechanical) युक्ति इनपुट डिवाइस कहलाता है। चूंकि कम्प्यूटर केवल बाइनरी संकेतों (0 और 1 या आॅन और आॅफ) को समझ सकता है, अतः सभी इनपुट, आउटपुट इंटरफेस (Input Interface) की मदद से उसे बाइनरी संकेत में बदलते हैं।

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इनपुट डिवाइस के कार्य


  1. डाटा, अनुदेशों तथा प्रोग्राम को स्वीकार करना,
  2. उन्हें बाइनरी कोड में बदलना,
  3. और बदले हुए कोड को कम्प्यूटर सिस्टम को देना।

कुछ प्रमुख इनपुट डिवाइस

  • की-बोर्ड
  • माउस
  • ज्वाॅस्टिक
  • प्रकाशीय पेन
  • स्कैनर
  • बार कोड रीडर
  • मइकर (MICR- Magnetic Ink Character Reader)
  • पंच कार्ड रीडर
  • आप्टिकल मार्क रीडर
  • आप्टिकल कैरेक्टर रीडर
  • माइक या माइक्रोफोन
  • स्पीच रिकाॅगनिशन सिस्टम


2. आउटपुट यूनिट (Output Unit)

यह कम्प्यूटर द्वारा प्रोसेस किए गए परिणामों को प्राप्त करने के लिए युक्ति है। यह कम्प्यूटर को उपयोगकर्ता के साथ जोड़ता है। चूंकि कम्प्यूटर से प्राप्त परिणाम बाइनरी संकेतों (0 और 1) में होते हैं, अतः उन्हें आउटपुट इंटरफेस द्वारा सामान्य संकेतों में परिवर्तित किया जाता हैं।

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आउटपुट डिवाइस के कार्य


  1. सीपीयू से परिणाम प्राप्त करना
  2. प्राप्त परिणामों को मानव द्वारा समझे जा सकने वाले संकेतों में बदलना
  3. परिणाम के परिवर्तित संकेतों को उपयोगकर्ता तक पहुंचाना

कुछ प्रमुख आउटपुट डिवाइस


  • माॅनीटर
  • प्रिंटर
  • प्लाॅटर
  • स्पीकर
  • कार्ड रीडर
  • टेप रीडर
  • स्क्रीन इमेज प्रोजेक्टर

3. सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (CPU) या सिस्टम यूनिट (System Unit)

कम्प्यूटर पर जो भी काम किए जाते हैं, वह सीपीयू में ही होता है। इसे कम्प्यूटर का मस्तिष्क भी कहा जाता है। इसका काम है किसी व्यक्ति द्वारा दिए गए आदेशों को समझकर उनका ठीक-ठीक पालन करना। जोड़ना, घटाना आदि अंकगणितीय क्रियाएं- दो संख्याओं की तुलना करना या किसी विशेष बात की जाँच करना, आदि इसका काम है।

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कुछ प्रमुख माइक्रोप्रोसेसर या सीपीयू चिप


पेंटियम, पेंटियम प्रो, पेंटियम-III, पेंटियम-IV, डुअल कोर, आई 5, आई 7, इंटेल सेलराॅन, एएमडी एथलाॅन, एएमडी, डयूरान साइरिक्स.


4. अरिथमेटिक लाॅजिक यूनिट (ALU-Arithmetic Logic Unit)

इसके अंतर्गत कंप्यूटर सभी मैथमेटिकल और लाॅजिकल कार्य संपन्न करता है। जैसे कि संख्याओं को जोड़ना, घटाना और गुणा करना और फिर उनकी आपस में तुलना करना । इसके पश्चात कंप्यूटर का कंट्रोल यूनिट हरकत में आता है और प्रोसेसिंग के परिणामस्वरूप बने इलेक्ट्राॅनिक ट्रैफिक को कंट्रोल करने लगता है। यह कंट्रोल यूनिट अर्थमेटिक एंड लाॅजिक यूनिट (ALU) और मेन मेमोरी के बीच सामंजस्य पैदा करके सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट को संपूर्णता प्रदान करता है। इसी संपूर्णता की वजह से हमें कंप्यूटर से वास्तविक परिणाम प्राप्त होते हैं और यह कंट्रोल यूनिट ही इन परिणामों को आउटपुट उपकरणों तक पहंचाता है, अर्थात कंट्रोल यूनिट, इनपुट डिवाइसेस, प्रोसेसिंग डिवाइसेस में भी ताल-मेल बिठाता है।


5. मेमोरी (Memory)

डाटा और अनुदेशों को प्रोसेस करने से पहले मेमोरी में रखा जाता है। प्रोसेस द्वारा प्राप्त अंतरिम और अंतिम परिणामों को भी मेमोरी में रखा जाता है।


इस प्रकार मेमोरी सुरक्षित रखता है:


  1. प्रोसेस के लिए दिए गए डाटा व अनुदेशों को
  2. अंतरिम परिणामों को
  3. अंतिम परिणामों को

मेमोरी को मुख्यतः दो भागों में बांटा जाता है

(i) प्राथमिक या मुख्य मेमोरी (Primary or Main memory):


यह कम्प्यूटर सिस्टम यूनिट के अंदर स्थित इलेक्ट्राॅनिक मेमोरी है। इसकी स्मृति क्षमता कम जबकि गति तीव्र होती है। इसमें अस्थायी निर्देशों और तात्कालिक परिणामों को संग्रहित किया जाता है। यह अस्थायी मेमोरी है जिसमें कम्प्यूटर को आफ कर देने पर सूचना भी समाप्त हो जाते हैं।


(ii) द्वितीयक या सहायक मेमोरी (Secondary or Auxiliary Memory):


यह मुख्यतः चुम्बकीय डिस्क या आप्टिकल डिस्क होता है जिसमें बड़ी मात्रा में सूचनाओं को संग्रहित किया जा सकता है। यह स्थायी मेमोरी है जिसमें विद्युत उपलब्ध न होने पर भी सूचनाओं का ह्रास नहीं होता


रैम (RAM) :

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रैम को ज्यादातर मेमोरी कहा जाता है। रैम में मेमोरी चिप्स लगी होती है जिन्हें प्रोसेसर की मदद से पढ़ा और लिखा जा सकता है। जब कम्प्यूटर चालू किया जाता है तब कुछ आपरेटिंग सिस्टम्स फाइलें, स्टोरेज उपकरण जैसे हार्ड-डिस्क में लोड होकर रैम में आ जाती हैं। कम्प्यूटर चलने तक यह फाइले रैम में ही रहती हैं। कुछ अन्य प्रोग्राम और डाटा भी रैम में लोड हो जाते हैं।

जब तक डाटा रैम में होता है तो प्रोसेसर उसकी व्याख्या/ आकलन करता है। इस दौरान रैम के कंटेन्ट्स में बदलाव आ सकता है। रैम की क्षमता अगर ज्यादा है तो वह एक साथ कई प्रोग्रामों को संजोकर रख सकती है। जिस प्रोग्राम पर आप काम करते है वह कम्प्यूटर की स्क्रीन पर दिखायी देता हैं।

ज्यादातर रैम अस्थिर होती हैं। कम्प्यूटर के बंद होते ही यह अपनी कंटेन्ट्स खो देती है। इसलिए भविष्य में इस्तेमाल हेतु डाटा को सेव करना पड़ता है। रैम में मौजूदा वस्तुओं को हार्ड डिस्क पर काॅपी करने की प्रक्रिया को सेविंग कहते हैं।


रोम (ROM):

रोम स्टोरेज मीडिया की श्रेणी में आता है जिसका प्रयोग कम्प्यूटर और अन्य इलेक्ट्राॅनिक उपकरणों में किया जाता है। रोम में उपस्थित डाटा में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता। यह अस्थिर नहीं होती। कम्प्यूटर बंद हो जाने के बाद इसके कंटेन्ट्स खोते नहीं है।

रोम के चिप में स्थायी डाटा, निर्देश और सूचनाएं होती हैं। उदाहरण के तौर पर इसमें निर्देशों की शंृखला से युक्त बेसिक इनपुट/ आउटपुट सिस्टम होता है जिससे कम्प्यूटर स्टार्ट होते ही आॅपरेंटिंग सिस्टम और अन्य फाइलें लोड हो जाती हैं। अन्य कई उपकरणों में भी रोम की चिप लगी होती है। उदाहरण के लिए प्रिंटर में लगी रोम की चिप में फान्ट से संबंधित डाटा होता है।


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